26 जनवरी से जुड़ी 3 ज़रूरी बातें!
26 जनवरी को ही क्यों मनाते है गणतंत्र दिवस?
हमारे देश का संविधान यानि कानून 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया मगर दुनियां का सब से बड़ा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 को ही बन गया था…
मगर ये बात है 1930 की जब जवाहर लाल नेहरू जी के अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन रावी नदी के किनारे लाहौर ( अब पाकिस्तान) में हुआ था, इस दिन भारत के लोगों ने ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की थी। यह संकल्प आजादी की लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। इस दिन को सदैव याद रखा जाएं इसी कारण 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने का निर्णय लिया गया, जो हमारे स्वतंत्रता संघर्ष की याद दिलाता है।
26 जनवरी को कौन झंडा फहराता हैं?
26 जनवरी को, राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। राजपथ, नई दिल्ली में होने वाले मुख्य समारोह में, राष्ट्रपति ध्वजारोहण करते हैं जिसके बाद राष्ट्रगान गाया जाता है और 21 तोपों की सलामी दी जाती है।
इस बार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो को भारत ने अपना (Chief Guest) मुख्य अतिथि बनाया है।
जबकि पिछली बार फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन मुख्य अतिथि थें।
झंडारोहण और झंडा फहराने में होता है अन्तर !
झंडारोहण या ध्वजारोहण:- झंडे को पोल के आधार से ऊपर उठाना, ताकि यह हवा में लहरा सके।
हमारे प्रधानमंत्री हर स्वतंत्रता दिवस पर लाल किला पर ध्वजारोहण करते हैं, झंडारोहण करते समय रस्सी से ध्वजा को ऊपर की ओर खींचा जाता हैं, इसका अर्थ होता है किसी नए देश का उदय।
हमारे राष्ट्रपति हर गणतंत्र दिवस को राजपथ पर झंडा फहराते हैं।
दोनों ही शब्द ध्वज के प्रति सम्मान और समर्पण को दर्शाते हैं, लेकिन उनका उपयोग संदर्भ और औपचारिकता के स्तर के अनुसार भिन्न होता है।
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